बिग ब्रेकिंग :- Psc का अभ्यर्थी के साथ भद्दा मजाक… 10 अंक के लिखे गए उत्तर को जांचा ही नहीं और हो गया अभ्यर्थी बाहर… हाईकोर्ट में मामले का खुलासा अब कोर्ट ने दिया यह शानदार निर्णय
पीएससी पर लगातार गड़बड़ी के आरोप लगते ही रहते हैं और अब मामला न्यायालय पहुंचने के बाद सामने भी आते जा रहा है । ऐसे ही एक मामले में Psc 2022 में सही उत्तर लिखने के बाद भी Psc ने उसे नहीं जांचा। दस अंक के इस जवाब की वजह से एक अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गया। इस प्रकरण में दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शासन और Psc को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही याचिकाकर्ता तेजराम नाग के पक्ष में असिस्टेंट जेल सुपरिंटेंडेंट का एक पद सुरक्षित रखने के निर्देश भी दिए हैं।
तेजराम नाग ने अपनी कॉपी जब देखी तो उसे इस गड़बड़ी का पता चला तब उम्मीदवार तेजराम नाग ने हाईकोर्ट में याचिका पेश की। प्रारंभिक परीक्षा में देशभर से 3095 अभ्यर्थियों का चयन हुआ। इन अभ्यर्थियों ने 15 से 18 जून 2023 में मुख्य परीक्षा दी। इसके परिणाम के आधार पर 625 अभ्यर्थियों का इंटरव्यू के लिए यानी अंतिम परीक्षा के लिए चयन हुआ, जो 24 अगस्त से 6 सितंबर 2023 तक चला। इसमें 625 की जगह 621 अभ्यर्थी ही साक्षात्कार में शामिल हुए। इसके बाद मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू में मिले अंकों के हिसाब से मेरिट लिस्ट जारी की गई। इसमें डिप्टी कलेक्टर के लिए कुल 15, डीएसपी के लिए 8 और छत्तीसगढ़ राज्य वित्त सेवा अधिकारी के लिए 4 पद थे। मेरिट लिस्ट और चयन सूची जारी करने के बाद राज्य लोक सेवा आयोग ने मुख्य परीक्षा में शामिल उम्मीदवारों की आंसरशीट वेबसाइट पर अपलोड की गई। याचिकाकर्ता तेजराम नाग ने इसे डाउनलोड कर परीक्षण किया, तो पाया कि उसे मुख्य परीक्षा में 657 और इंटरव्यू में 71 अंक मिलाकर कुल 728 अंक मिले थे।
तीनों जांचकर्ताओं ने की गंभीर चूक
अपनी आंसरशीट चेक करने पर याचिकाकर्ता ने पाया कि चौथे पेपर के 12 वें नंबर के प्रश्न की जांच ही परीक्षकों ने नहीं की याचिकाकर्ता ने इसका पूरा आंसर लिखा था, लेकिन बना जांचे परीक्षकों ने नाट आंसर (एनए) लिख दिया। इस कापी की जांच तीन स्तर पर परीक्षक, सहायक परीक्षक और मुख्य परीक्षक द्वारा की गई और सभी ने एनए ही लिखा। इस पर तेजराम नाग ने एडवोकेट रोहित शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि दूसरे उम्मीदवारों की आंसर कापी जो साइट पर अपलोड है। उनका परीक्षण करने पर पाया गया कि सभी ने लगभग वही उत्तर लिखा है, जो याचिकाकर्ता ने लिखा है। इनमें से एक उम्मीदवार को उसमें 10 में से 7 नंबर दिए गए हैं, जबकि उसकी कापी के उस उत्तर की जांच नहीं करते हुए नाट आंसर लिख दिया गया है। जबकि उसने पूरा उत्तर लिखा है।