संशोधन मामले में FIR दर्ज करवाने के लिए शुरू हुई विभाग की तैयारी… कभी भी दर्ज हो सकता है FIR….. पुलिस के लिए इन कारणों से आसान होगा आरोपियों तक पहुंचाना
प्रदेश में प्रमोशन संशोधन मामले में FIR दर्ज होना लगभग तय है या यह कहें की अभी तक FIR दर्ज हो जाना था और इसमें देरी हो गई है तो भी गलत नहीं होगा क्योंकि स्कूल शिक्षा मंत्री अपने इरादे पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं और महाधिवक्ता ने भी न्यायालय में यह साफ तौर पर कह दिया है कि अभी तो केवल निलंबन हुआ है आगे इस मामले में FIR भी दर्ज होगी और अब यह माना जा रहा है कि किसी भी दिन FIR दर्ज हो सकता है क्योंकि इससे सीधे तौर पर दबाव बढ़ेगा । गौरतलब है कि प्रमोशन संशोधन के मामले में सरकार के संशोधन निरस्त करने के फैसले को लेकर जितनी किरकिरी हुई है और जितनी आलोचना हुई है उससे कई गुना अधिक इस बड़े फैसले की तारीफ भी हुई है दरअसल जिनका संशोधन नहीं हो पाया था और जो प्रमोशन की दौड़ में नहीं थे वह यह चाहते थे कि इस भ्रष्ट व्यवस्था की रोकथाम हो , यही वजह है कि तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ से लेकर शिक्षक महासंघ तक ने लिखित रूप से प्रमोशन संशोधन निरस्तीकरण की मांग रखी थी और जब यह बड़ा फैसला लिया गया तो इसकी तारीफ भी हुई । सरकार तक भी इस बात की रिपोर्ट है कि नाराज होने वाले की संख्या सिर्फ उतनी ही है जितना संशोधन निरस्त किया गया है लेकिन खुश होने वालों की संख्या उससे कई गुना ज्यादा है और अब सोशल मीडिया में यह भी मांग चल रही है कि दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो और प्रशासन इस दिशा में किसी भी पल आगे बढ़ सकती है ।
आरोपियों को पकड़ना पुलिस के लिए होगा बाएं हाथ का खेल !
इस मामले में आरोपियों तक पहुंचाना पुलिस के लिए बहुत आसान होगा क्योंकि संशोधन कराने वालों की संख्या 1-2 नहीं बल्कि 2723 है और जब इसने पुलिसिया पूछताछ होगी तो जिन लोगों को इन्होंने पैसा दिया है उन तक पहुंचना आसान होगा । आपको याद होगा कि आज से करीब डेढ़ साल पहले बिलासपुर में एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें नए शिक्षकों की पोस्टिंग को लेकर एक नव नियुक्त शिक्षक नंदकुमार साहू ने किसी शिक्षक से बात की थी और जिसका ऑडियो वायरल हो गया था उस पूरे ऑडियो में न तो बात करने वाले का पता था और न कोई अन्य खास जानकारी लेकिन जैसे ही मीडिया में विषय आया वैसे ही बात बढ़ते चली गई और फिर जब प्रशासन ने पुलिस को यह जिम्मेदारी सौंपी तो पुलिस ने हाल फिलहाल में नियुक्त हुए नंदकुमार साहू नाम के शिक्षक को तलाशना शुरू किया जिसकी पोस्टिंग शहर में हुई हो और जेडी कार्यालय से जानकारी मांगते ही बिल्हा ब्लॉक में नियुक्त हुए उस शिक्षक की जानकारी मिल गई । इधर पुलिस ने उसके मोबाइल नंबर और अकाउंट डिटेल की जानकारी लेकर क्रॉस चेक शुरू करना शुरू किया और जिनसे बातें हुई थी उन्हें रडार में लेना शुरू किया इसके बाद पुलिसया पूछताछ में शिक्षकों ने खुद ही पूरे मामले की पोल खोल दी । शिक्षक नंद कुमार साहू ने एक और शिक्षक यागेश पांडे का नाम लिया और पुलिस ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके दोनों शिक्षकों की गिरफ्तारी की और सूचना मीडिया के जरिए पूरे प्रदेश को दी । हालांकि उस मामले में ऊपर के अधिकारी बच गए और कैसे बचे यह किसी से छिपा नहीं है पर जब उस मामले में पुलिस ने बिना विभाग के सहयोग के आरोपियों की गिरेबान नाप दी तो इसमें तो विभाग कार्रवाई कर चुका है और निलंबित अधिकारी कर्मचारियों के नाम सार्वजनिक हैं केवल पुलिस को शिक्षकों से पूछताछ करते हुए दलाली करने वाले लोगो और अधिकारियों तक तार जोड़ने हैं और लेनदेन की पुष्टि में जरा सा भी समय नहीं लगेगा । इधर बहुत से शिक्षकों ने कई सबूत भी अपने पास रखे हुए थे जो विपरीत समय में काम आए हो सकता है कि पुलिसिया जांच में खुद को बचाने के लिए वह उसे भी सामने ला दें क्योंकि भले ही कानून में रिश्वत देना और रिश्वत लेना दोनों अपराध है पर ऐसे मामलों में देने वाले को एक प्रकार से सरकारी गवाह मानते हुए बख्श दिया जाता है ऐसा मामला नंद कुमार साहू केस में भी हुआ था पुलिस ने उन्हें विश्वास में लेकर उनसे FIR दर्ज करवाया और गिरफ्तारी की बाद में केस दर्ज करने वालों को किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं आने दी क्योंकि उन्होंने पुलिस का साथ दिया था ऐसा ही इस मामले में भी होने की उम्मीद है ऐसे भी शिक्षक इस पूरे प्रकरण से बहुत नाराज है क्योंकि सबसे अधिक तकलीफों का सामना उन्हें ही करना पड़ा है तो यह माना जा रहा है कि पुलिस की थोड़ी सी भी सहानुभूति और कड़ी पूछताछ उन्हें उन लोगों के नाम उगलने को मजबूर कर देगी जिनके माध्यम से उन्होंने अधिकारियों तक पैसा पहुंचाया है ।
बुरे फंस सकते हैं दलाली करने वाले शिक्षक नेता !
इसमें कुछ दलाल शिक्षक नेताओं के भी नपने की पूरी उम्मीद है क्योंकि सूत्रों के हवाले से जो खबर निकल कर सामने आ रही है उसके मुताबिक बीच की कड़ी का काम शिक्षकों के बीच ही रहने वाले कुछ शिक्षक नेताओं ने किया है और हर संभाग और जिले में कुछ ऐसे शिक्षक नेता थे जिन्होंने शिक्षकों को यह भरोसा दिलाया कि यदि वह अपनी जेब से रकम खर्च करते हैं तो मनचाहे जगह पर उनको पोस्टिंग मिल जाएगी भले ही उस जगह का नाम लिस्ट में शामिल हो या न हो । उन दलाल शिक्षक नेताओं ने ही शिक्षकों से राशि लेकर अधिकारी कर्मचारी तक पहुंचाई, बताया जा रहा है कि कई कार्यालय में तो यह स्थिति थी की कार्यालय में जाने पर दबे जुबान में उन्ही शिक्षक नेताओं से संपर्क करने का भी इशारा दे दिया जाता था । कुल मिलाकर एक ऐसा रैकेट तैयार किया गया था जिससे शिक्षक अपने ही नेताओं के माध्यम से उन तक पहुंचे और अधिकारीयों कर्मचारियों को भी किसी प्रकार की कोई दिक्कत न आए और यह प्लान पूरी तरह सफल भी रहा इसीलिए 2723 संशोधन सफलतापूर्वक हो गए बताया जाता है कि कुछ और संशोधन निरस्त भी होने हैं जिनका नाम छूट गया है और साथ ही इनका नाम बाहर आते ही एक नई कहानी भी निकाल कर सामने आएगी यानी यह संशोधन वह संशोधन है जो अधिकारियों के रिकॉर्ड में थे ही नहीं फिर इनका कैसे संशोधन हुआ उसकी एक अलग कहानी है । जिन शिक्षक नेताओं के नाम निकलकर सामने आ रहे हैं उसमें विशेष तौर पर सरगुजा संभाग के 2 शिक्षक नेता , बिलासपुर संभाग के 3 शिक्षक नेता , रायपुर संभाग के भी 3 शिक्षक नेता और दुर्ग संभाग में 2 शिक्षक नेता प्रमुख है । बताया जाता है कि एक शिक्षक नेता ने तो अपने संगठन के लिए हर संभाग में सेटिंग करके रखी थी और उनके जिला अध्यक्षों ने बड़ा खेल खेला । खुफिया विभागों के पास यह पूरी जानकारी मौजूद है और जैसे ही एफआईआर दर्ज होगा यह सारे चेहरे निकाल कर बाहर आ जाएंगे अब देखना केवल यह है कि FIR कब दर्ज होता है ।