फर्जी शिक्षकों पर बर्खास्तगी की गिरी गाज… वर्षों से फर्जी आदिवासी बनकर कर रहे थे नौकरी और शासन को लगा रहे थे चूना
आखिरकार फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे चार शिक्षकों को बर्खास्त करने का आदेश जिला शिक्षा अधिकारी सुकमा ने जारी कर दिया है । फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे कर्मचारियों के हटाने की मांग को लेकर लंबे समय से आदिवासी समाज लड़ाई लड़ रहा है और यहां तक की राजधानी रायपुर में इसके लिए नग्न प्रदर्शन तक हो चुका है शिक्षा विभाग में भी ऐसे दर्जनों मामले हैं जिसमें फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए लोग नौकरी कर रहे हैं ऐसे ही एक मामले में लंबी जांच के बाद आखिरकार मजबूर होकर जिला शिक्षा अधिकारी को कार्रवाई करना पड़ा है । छह शिक्षकों में से चार शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है वहीं एक शिक्षक सेवानिवृत हो चुका है और एक शिक्षक बीजापुर से नियुक्त हुआ था तो ऐसे में उसकी जांच के लिए बीजापुर जिला प्रशासन को जानकारी भेजा गया है । इधर कुछ और मामलों की भी शिकायतें हुई है तो जिला प्रशासन ने ऐसे और मामलों की सूची बनाना भी शुरू कर दिया है ।
यह फर्जी शिक्षक निपटे , हुए बर्खास्त
अभी हुई शिक्षा विभाग की कार्रवाई में प्रधान पाठक बालक आश्रम इंजरम सलवम गिरीश , प्रधान पाठक पीएस पटेलपारा फंडीगुड़ा सलवम गीता , प्रधान पाठक पीएस धावड़ाभाटा वरलक्ष्मी नाग और प्रधान पाठक पीएस मिलमपल्ली ओशिक ठाकुर पर बर्खास्तगी की गाज गिरी है। सुकमा के जिला शिक्षा अधिकारी नितिन डडसेना ने इन चारों को नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया है । इसके अतिरिक्त 15 लोग ऐसे हैं जिनके जाति प्रमाण पत्र संदिग्ध हैं जिनकी जांच हो रही है । पूरे प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी करने वाले कर्मचारियों की जानकारियां निकाल कर सामने आ रही है यह कर्मचारी केवल नौकरी नहीं कर रहे हैं बल्कि आदिवासी बनाकर शासन की अन्य योजनाओं का भी लाभ उठा रहे हैं और कई तो पूरे जीवन भर लाभ उठाकर रिटायर भी हो चुके हैं । जो शिक्षक रिटायर हो चुके हैं उसके खिलाफ भी कार्रवाई के लिए जिला शिक्षा अधिकारी ने राज्य कार्यालय से मार्गदर्शन मांगा है एम