पदोन्नति संशोधन मामले में चुप्पी की असली वजह क्या ? क्या मामला होने जा रहा है खत्म या फिर तूफान आने की पहले की है ये खामोशी !
पदोन्नति संशोधन मामले में बीते 15 दिनों में यदि कुछ भी नहीं हुआ है कहे तो गलत नहीं होगा क्योंकि 1 अगस्त को 3 जेडी समेत 10 अधिकारियों कर्मचारियों पर जो गाज गिरी थी वहीं अंतिम एक्शन था और उसके बाद जिस प्रकार नए शिक्षा मंत्री रविंद्र चौबे का बयान आया था उससे यह लगने लगा था मानो 1 सप्ताह के भीतर ही सारे निर्णय ले लिए जाएंगे लेकिन धीरे-धीरे तल्ख तेवर खामोशी में बदलते गए और कार्रवाई तो कुछ हुई ही नहीं इसे लेकर दो प्रकार की चर्चाएं आम है एक कि सब कुछ ठीक हो चुका है और दूसरा यह तूफान ही आने की पहले की खामोशी है । चर्चाओं में हिस्सा लेने वाले लोगों में यह धारणा बनी हुई है कि अंत में सब कुछ मैनेज हो जाता है और इस मामले को भी वैसा ही बताया जा रहा है इधर दूसरा पक्ष यह भी है जिसका यह मानना है कि किसी भी प्रकार की कार्यवाही करने से पहले विभाग और सरकार ठोस आधार तैयार कर लेना चाहती है ताकि मामला किसी कानूनी पचड़े में न फंसे और इसके लिए यह भी तर्क दिया जा रहा है कि ऐसी ही कार्रवाई जेडी को निलंबित करने से पहले भी की गई जिसमें पहले सारे सबूत जुटाए गए और उसके बाद कमिश्नर जांच के माध्यम से रिपोर्ट तैयार कर बड़ी कार्यवाही की गई ।
इधर हमारे सूत्रों के हवाले से जो जानकारी है उसके मुताबिक मामला ठंडा नहीं पड़ा है बल्कि कानूनी कार्रवाई होना तो 100% है और इसके लिए बाकायदा खुफिया टीम काम कर रही है यह पता लगाया जा रहा है की आखिर इस पूरे खेल के खिलाड़ी कौन कौन थे। बड़े खिलाड़ियों पर भी खुफिया टीम की पैनी नजर बनी हुई है और ऊपर से एक छोटा सा इशारा मिलते ही इन्हें अपने शिकंजो में ले लिया जाएगा । मंत्री रविंद्र चौबे ने स्वयं FIR की बात कही है ऐसे में यदि FIR दर्ज नहीं होता है तो उन पर भी सवाल उठेंगे लिहाजा यह तय माना जा रहा है कि भले संशोधन आदेश निरस्त न हो लेकिन F.I.R. तो होगा क्योंकि जेडी कार्यालय के जिन कर्मचारियों को निलंबन आदेश थमाया गया है वह भी निलंबन आदेश कम आरोपपत्र अधिक है जिसमें साफ तौर पर आर्थिक लेनदेन की पुष्टि की बात कही गई है यानी दस्तावेज चीख चीख कर इस बात की गवाही दे रहे हैं की गड़बड़ी के पीछे की असली वजह कुबेर का खजाना है जिसे हर कोई पाना चाह रहा था । इस पूरे मामले में कुछ शिक्षक नेताओं की भूमिका भी संदिग्ध है खास तौर पर निरस्तीकरण न करने की लिखित मांग रखने वाले दो नेताओं की भूमिका पर सोशल मीडिया में भी बवाल है और तीसरे नेता के ऑडियो कॉल रिकॉर्डिंग ने तो इसमें से एक नेता पर गंभीर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है क्योंकि उनका कहना है कि इस नेता ने बाकी लोगों को विश्वास में लिए बिना सीधे एन मौके पर निरस्तीकरण का ज्ञापन शिक्षा मंत्री को सौंप दिया यही नहीं उन्होंने दबी जुबान यह भी स्वीकार किया है कि कई शिक्षक नेताओं की भूमिका बहुत संदिग्ध है। इधर तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ और शिक्षकों का एक महासंघ भी पदोन्नति संशोधन निरस्तीकरण को लेकर हमलावार है और कई बार मंत्री जी से मिल चुका है ऐसे भी उनका भी बड़ा दबाव सरकार पर है । कुल मिलाकर पदोन्नति संशोधन निरस्तीकरण को लेकर भले ही संशय की स्थिति हो पर इस हफ्ते FIR दर्ज हो जाएगा ऐसा माना जा रहा है।