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दिव्यांग संघ के दावों पर लगी मुहर…. फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के जरिए कर रहे कई कर्मचारी शासकीय नौकरी…. मेडिकल जांच में पाए गए सामान्य…. स्कूल शिक्षा विभाग में सबसे अधिक फर्जी दिव्यांग कर्मचारियों की बात निकाल कर आ रही सामने….कभी भी बैठ सकती है बड़ी जांच !

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छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ लगातार फर्जी दिव्यांग कर्मचारी के विरुद्ध मुखर है और इसके लिए उन्होंने अब स्वयं ऐसे कर्मचारियों के फर्जी प्रकरणों को सामने लाने का बीड़ा उठाया है । संघ के पदाकारियों ने दो ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों के फर्जी सर्टिफिकेट होने का खुलासा करते हुए कहा है कि दुर्भाग्य है कि पूरे मामले का खुलासा होने के बाद भी विभाग ने अभी कोई कार्रवाई नहीं की है । संघ की तरफ से ऐसे फर्जी अधिकारियों की बर्खास्त की मांग की गई है । संघ ने ऐसे दो ग्रामीण किसी विस्तार अधिकारियों के फर्जी दस्तावेज भी सामने लाए हैं साथ ही उन्होंने जिले के पूर्व सीएमएचओ डॉक्टर प्रमोद महाजन और डॉक्टर एम के राय पर फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर देने का आरोप लगाया है हालांकि डॉक्टर ने इन आरोपों को पूरी तरह झूठा बताया है और अपनी सहभागिता से इनकार किया है ।

जिन फर्जी दिव्यांगों के सर्टिफिकेट का खुलासा हुआ है उनमें पहले परिवीक्षा में कार्यरत लेखा सेवा अधिकारी कोष लेखा एवं पेंशन रायपुर का है वही दूसरा कर्मचारी सहायक संचालक कृषि महासमुंद है । संघ ने जिन दो अधिकारियों पर आरोप लगाया है प्रथम दृष्टया इस बात की पुष्टि भी हो गई है कि वह दिव्यांग नहीं है और कहीं न कहीं मामले में गड़बड़ी है । संघ ने जिन दो लोगों का खुलासा किया है उसमें संचालनालय कोष लेखा एवं पेंशन विभाग में कार्यरत अधिकारी के द्वारा जिस दिव्यंगता प्रमाण पत्र को जमा किया गया है उसमें दर्ज पत्र क्रमांक के आधार पर जब जांच करवाई गई तो यह पाया गया कि संबंधित कर्मचारी जंग बहादुर के नाम से जिला दिव्यंगता बोर्ड में कोई एंट्री दर्ज ही नहीं है। वहीं दूसरे कर्मचारी सहायक संचालक कृषि महासमुंद की दिव्यंका की जांच 3 डॉक्टरों की टीम ने की तो यह पाया कि उनके बाएं कान के परदे में तो छिद्र है किंतु दाहिने कान की श्रवण शक्ति सामान्य है और वह पूरी तरह सुन सकती है ।

स्कूल शिक्षा विभाग में सबसे अधिक फर्जी दिव्यांग होने के दावे !

स्कूल शिक्षा विभाग में अन्य विभागों की तुलना में सबसे अधिक कर्मचारी हैं और यह कहा जा रहा है की सबसे अधिक फर्जी दिव्यांग कर्मचारी भी स्कूल शिक्षा विभाग में ही कार्यरत है जिसमें श्रवण बाधित की संख्या सबसे अधिक है । बीते 20 सालों में दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर हजारों कर्मचारियों ने नौकरी हासिल की है और यह कहा जा रहा है कि यदि स्कूल शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर जांच होती है तो बड़ी मात्रा में ऐसे शिक्षक सामने निकल कर आएंगे जिन्होंने असली दिव्यांगों का हक छीन लिया है । इस मामले की भी उच्च कार्यालय में शिकायत हुई है लेकिन फिलहाल किसी प्रकार की कार्रवाई का निर्णय नहीं लिया गया है । वर्तमान में ऐसे मामलों में राजनीतिक दबाव भी है लेकिन माना जा रहा है कि आचार संहिता लगते ही दबाव समाप्त हो जाएगा इसके बाद कई मामलों में जांच के आदेश विभाग के द्वारा दिए जा सकते हैं । एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर यह बताया भी है की स्कूल शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर शिकायतें आ रही हैं जिसमें दस्तावेज भी यह प्रमाणित कर रहे हैं कि प्रमाणिक है और विभाग की नजरे भी ऐसे मामलों पर है फिलहाल अभी किसी प्रकार की कोई कार्यवाही का आदेश नहीं दिया गया है लेकिन आने वाले समय में ऐसे लोगों पर गाज गिर सकती है ।

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