उथल-पुथल भरा रहेगा स्कूल शिक्षा विभाग के लिए यह सप्ताह… लिए जाएंगे बड़े फैसले ..आ सकते हैं कुछ बड़े चौकाने वाले निर्णय !
स्कूल शिक्षा विभाग में बीते कुछ दिनों में जो कुछ भी घटा है वह सामान्य घटना नहीं है बल्कि आने वाले बवंडर से पहले की महज चेतावनी है जिसकी शुरुआत एकाएक स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री बदले जाने से हुई । राजनीतिक गलियारों से जो खबरें छनकर आ रही थी उसमें जिस मंत्री का नाम मंत्रिमंडल से हटाए जाने को लेकर सबसे ऊपर था उसे छोड़कर स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेम साय टेकाम की जिस प्रकार की छुट्टी हुई वह न केवल आम जनता को चौंकाने वाली थी बल्कि स्वयं प्रेम साय टेकाम भी हैरान रह गए इसको पूर्व मंत्री जी के उस बयान से भी समझा जा सकता है जो उन्होंने हटाए जाने के बाद तत्काल मीडिया को दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि “इस्तीफा दिया नहीं जाता बल्कि लिया जाता है” इधर मंत्री जी हटे और उधर नए मंत्री के तौर पर मुख्यमंत्री के सबसे करीबी लोगों में शुमार और हैवीवेट कैबिनेट मिनिस्टर रविंद्र चौबे की ताजपोशी हुई । पहले ऐसे लगा कि नई नवेले मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम को स्कूल शिक्षा मंत्री का पद मिलेगा और उन्होंने इसके लिए इच्छा भी जताई थी लेकिन स्कूल शिक्षा मंत्री की कुर्सी मिली पहले से ही महत्वपूर्ण विभागों को संभाल रहे रविंद्र चौबे को और आते ही जिस प्रकार की कार्रवाई उन्होंने की है उसमें अभी स्पष्ट हो गया है कि उन्हें विभाग में क्यों लाया गया है । आमतौर पर 1 डीईओ पर कार्रवाई करने में विभागीय अधिकारियों के हाथ पैर फूल जाते हैं और उसे बचाने के सारे जतन किए जाते हैं लेकिन यहां तो 4 जेडी समेत 11 कर्मचारियों की बलि हो गई और आदेश पत्र ऐसा जो आदेश कम आरोप पत्र अधिक लग रहा है मानो कोर्ट में स्टे मिलने की गुंजाइश भी खत्म हो जाए । कमिश्नर जांच का उल्लेख करते हुए साफ तौर पर लिखा गया है कि लेनदेन की पुष्टि हुई है जिसका साफ मतलब है कि आर्थिक अनियमितता होने को लेकर शासन स्तर पर स्वीकार कर लिया गया है यही नहीं मंत्री रविंद्र चौबे ने मीडिया के सामने आकर यह कहकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं कि अभी और कार्रवाई होनी बाकी है और इस मामले में हम FIR दर्ज कराएंगे इससे शिक्षक जगत में हलचल भी मची हुई है और जिनका इस मामले से लेना-देना नहीं था या जिनका संशोधन नहीं हो सका है उन सब में इस बात को लेकर खुशी भी है कि दोषी लोगों में हड़कंप मचा हुआ है और कभी भी वह उसकी जद में आ सकते हैं । इधर जो लोग इस खेल में शामिल थे वह अपने अपने सूत्रों के हवाले से यह टटोलने में लगे हुए हैं की कार्रवाई की जद में कौन-कौन आ सकता है और कहीं उन पर तो गाज नहीं मिलने वाली है । डर इसलिए भी है कि एक बार पुलिस की कार्रवाई शुरू हुई तो वह कहां जाकर रुकेगी किसी को भी नहीं पता ऐसे में ट्रांसफर पोस्टिंग उद्योग से जुड़े हर व्यक्ति के चेहरे पर शिकन दिखाई दे रही है ।
संभागों को मिलेंगे नए जेडी साथ ही साथ निरस्त भी हो सकता है संशोधन आदेश
इस सप्ताह संभागों को नए जेडी मिल जाएंगे क्योंकि जेडी के अभाव में संयुक्त संचालक कार्यालय का कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो गया है अधिकांश कार्यालयों में तो कर्मचारी छुट्टी पर भी चले गए हैं या फिर आ भी रहे हैं तो उनका दिन बेचैनी में गुजर रहा है कि कहीं अगली कार्रवाई के शिकार वही तो नहीं होने जा रहे हैं इसलिए यह तय माना जा रहा है कि इस सप्ताह जेडी पद पर नियुक्ति दे दी जाएगी । यही नहीं इस बात का भी निर्णय हो जाएगा कि संशोधन आदेश निरस्त होंगे कि नहीं अभी तक तो मामला 50-50 का है लेकिन जो भी होना होगा इसी सप्ताह हो जाएगा । इधर जिन अधिकारियों ने स्कूल शिक्षा विभाग को अपनी बपौती समझ ली है उनकी भी सूची तैयार होते जा रही है और कुछ ही दिनों के अंदर डीईओ, बीईओ की भी छुट्टी हो सकती है जिन्होंने अलग-अलग मामलों में जमकर धांधली की है । सोशल मीडिया के इस दौर में अधिकारियों के पास सबूतों के साथ जानकारी लगातार पहुंच रही है यही वजह है कि संचालनालय में बैठे और लगातार काम करने वाले अधिकारियों में से एक आशुतोष चावरे को भी गलत जानकारी प्रस्तुत करने के मामले में शो कॉज नोटिस थमा दिया गया है । ऐसे पहले भी कई मामले हुए हैं लेकिन जिस प्रकार चावरे को नोटिस मिला है वह यह बताता है कि विभाग के उच्च अधिकारियों के मिजाज फिलहाल बदले हुए हैं और इसकी जद में जो भी आएगा उसे सजा मिलना तय है ।