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स्कूल शिक्षा विभाग के पदोन्नति में हुए संशोधन मामला गूंजा विधानसभा में

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जमकर चला पैसा, पैसे के बल पर शिक्षकों ने पाई मनचाही जगह !

प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग के पदोन्नति में हुए संशोधन मामला विधानसभा में भी गूंजा । प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र के विधायकों ने उनके क्षेत्रों में हुए पदोन्नति में संशोधन के खेल को लेकर सवाल पूछा था जिसके बाद कई चौंकाने वाली जानकारी निकलकर सामने आई । बेलतरा विधायक रजनीश सिंह के सवाल पर यह बात निकलकर सामने आई कि केवल बिलासपुर में ही एक-दो नहीं बल्कि 778 संसोधन किए गए है यानी यह संख्या मुख्यमंत्री कार्यालय में कांग्रेस के जनप्रतिनिधि डॉ नरेंद्र राय द्वारा भेजे गए शिकायती पत्र में भेजे गए संख्या से भी अधिक है । विधायक रजनीश सिंह के अलावा जैजैपुर विधायक केशव चंद्रा और धरसीवा विधायक अनीता शर्मा ने भी पदोन्नति संशोधन से जुड़े सवाल ही पूछे हैं जिसके जवाब में यह जानकारी दी गई है कि छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के 29 मार्च 2023 के आदेश के अनुसार पदस्थापना की जानी थी और सबसे बड़ी बात यह है कि उस आदेश में पदस्थापना में संशोधन का कोई जिक्र ही नहीं है इसका सीधा मतलब है कि संशोधन गलत तरीके से किया गया है । जवाब में यह भी बताया गया है कि कमिश्नर से मामले की जांच करवाई जा रही है और जांच प्रतिवेदन आने के बाद कार्यवाही पर निर्णय लिया जाएगा । विधायक अनीता शर्मा के सवाल का जवाब देते हुए तो मंत्री रविंद्र चौबे ने यह भी बताया कि पदस्थापना संशोधन से 12 शालाएं एकल शिक्षकीय हो जाएंगी जिससे यह भी स्पष्ट होता है कि यदि उन स्कूलों में संशोधन नहीं किया जाता तो कम से कम वहां के बच्चों को 2 शिक्षक मिलते जो कि संशोधन के बाद अब केवल 1 शिक्षक के बलबूते चल रहे हैं , स्कूल शिक्षा विभाग ने पदोन्नति के संबंध में 29 मार्च को स्पष्ट निर्देश दिया था की एकल शिक्षकीय और शिक्षक विहीन शालाओं में पहले पदोन्नति की जानी है अब स्पष्ट है की अधिकारियों ने पैसे कमाने के चक्कर में इस निर्देश की ही धज्जियां उड़ा दी ।

अधिकारियों ने पूरा खेल पहले से ही सेट करके रखा हुआ था यही वजह है कि पहले शहर के अंदर के स्कूलों के नाम छिपा लिए गए और जो लिस्ट प्रदर्शित हुई उसमें दूरदराज के ही स्कूल थे काउंसलिंग पर पहुंचे शिक्षकों ने जब अपने आसपास के स्कूलों का नाम बताते हुए वहां पोस्टिंग की मांग रखी तब पोस्टिंग कर रहे अधिकारी कर्मचारियों ने कहा की वह जगह रिक्त नहीं है और यहां रखी सूची में से ही आपको चयन करना होगा ऐसे में मजबूरी में शिक्षकों ने दूरदराज के स्कूलों का चयन किया कई शिक्षकों ने तो पदोन्नति ही नहीं ली । इसके बाद जिन शिक्षकों ने दूरदराज की जगह पाई थी उन्होंने संशोधन के लिए जेडी कार्यालय के अधिकारी कर्मचारियों के दरवाजे खटखटा और उसके बाद पूरा खेल शुरू हुआ जिसने जितनी ज्यादा बोली लगाई उसे शहर के अंदर उतने अच्छे स्कूल में संशोधन करके पदस्थापना दी गई । यहां तक की जेडी कार्यालय के ठीक नीचे स्थित स्कूलो की भी बोली लगी जो कि रिक्त स्थानों की सूची में कभी शामिल थे ही नहीं । ऐसे ही शहर के अंदर के सैकड़ों स्कूल धीरे-धीरे सूची में शामिल होते चले गए और जमकर संशोधन का खेल खेला गया । जो वास्तव में जरूरतमंद थे लेकिन जिनके पास धन नहीं था उनके आवेदन तक स्वीकार नहीं किए गए और जो धनकुबेर थे उन्होंने स्कूल के हिसाब से बोली लगाई । यही नहीं खाली स्कूल बिकते रहे और ज्वाइनिंग की डेट बार-बार तब तक बढ़ते रही जब तक मुख्यमंत्री के पास शिकायत नहीं हो गई । जिन शिक्षकों की पोस्टिंग सारंगढ़ रायगढ़ बिलाईगढ़ जैसे जगहों पर हुई थी वह भी शहर के अंदर आ गए और जो इस खेल का हिस्सा नहीं बन सके वह आज भी उन्हीं स्कूलों में फंसे हुए हैं । न तो वरिष्ठता का ध्यान दिया गया न दिव्यांगता , पति-पत्नी और अन्य मजबूरियों का । अगर संशोधन होना ही था तो फिर सभी शिक्षकों को इसके लिए अवसर क्यों नहीं दिया गया और सभी से संशोधन आवेदन क्यों नहीं मंगाए गए चोरी छुपे यह खेल क्यों खेला गया । ऐसा नहीं है कि इस खेल में केवल कार्यालय के लोग लिप्त थे बताते हैं कि कुछ शिक्षक संगठनों ने भी जमकर पैसे कमाए हैं और अपने ही साथियों को लूटने में जमकर हिस्सा लिया ।

पदस्थापना संशोधन निरस्तीकरण की उठी मांग ।

तृतीय वर्ग कर्मचारी संगठन के साथ कई जनप्रतिनिधियों और अन्य संगठनों ने अब यह मांग रखी है कि पदस्थापना में जो संशोधन हुए हैं उसे निरस्त कर दिया जाए जिसके बाद सारे चेहरे खुद-ब-खुद सामने आ जाएंगे क्योंकि इसके बाद जिन्होंने पैसे कोई वसूली की है उनके घर पैसे देने वालों की कतार लग जाएगी और वह अपना पैसा वापस मांगेंगे ऐसे में खुद ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा और वह शिक्षक भी विरोध में निकल कर सामने आ जाएंगे जो अभी दम साधे बैठे हुए हैं । संगठनों का स्पष्ट कहना है कि निलंबन कोई सजा नहीं होती और दो लोगों को निलंबित कर देने से व्यवस्था में कोई सुधार नहीं होने वाला यदि सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी चाहते है की सच में यह व्यवस्था सुधरे तो उन्हें पदोन्नति आदेश में हुए संशोधन को बस एक सिरे से निरस्त कर देना चाहिए । गौरतलब है कि पूरे प्रदेश के हर संभाग में यह खेल खेला गया है ऐसे में संशोधनों की संख्या 2000 से अधिक जा रही है । अब देखना होगा कि स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले में आगे क्या कार्रवाई करते हैं या फिर लीपापोती करके पूरे मामले को दबा दिया जाएगा ।

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