सहायक संचालक के पद पर पहुंच से बैठे व्याख्याता को लेकर अब लिपिको ने खोला मोर्चा…. इससे पहले शिक्षक पदोन्नति में खेल को लेकर हुए थे बदनाम…. फिर भी नहीं हो रही कोई कार्रवाई !
कोरबा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सहायक संचालक के रूप में बैठे के आर डहरिया जो मूल रूप से व्याख्याता है के खिलाफ अब उसी कार्यालय के लिपिको ने मोर्चा खोल दिया है और उनके दुर्व्यवहार की शिकायत को लेकर उन्हें उनके मूल पद स्थापना वाली संस्था शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय छिंदपुर में पदस्थ करने की मांग की है । के आर डहरिया वही विवादित अधिकारी है जिन्होंने पदोन्नति के समय बकायदा सील मोहर के साथ लंबी चौड़ी सूची विभाग के बाबुओं को प्रेषित की थी और उनका मनचाहा पदस्थापना करवाया था जिसके बाद लिस्ट वायरल होने पर खूब हंगामा भी मचा था उसी समय उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें वह दंभ के साथ खुद को जिले का सबसे बड़ा नेता और अन्य को बच्चा बता रहे थे । के आर डहरिया का मूल पद व्याख्याता है बावजूद इसके वह जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सहायक संचालक के रूप में बैठे हुए हैं और अपने ही साथी कर्मचारियों के ऊपर बहुत जमाने के लिए कुख्यात है । जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के कर्मचारियों ने उनकी कार्यशैली से नाराज होकर कलेक्टर को एक शिकायत पत्र सोमवार को सौंपते हुए, उनके खिलाफ कार्रवाई करने व स्थानांतरित करने की मांग की है।
कर्मचारियों ने कलेक्टर से शिकायत में कहा है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ डहरिया जब से सहायक संचालक बने हैं तब से कार्यालय के कर्मचारियों से दुर्व्यवहार व अपशब्दों का प्रयोग करते हैं। जिसके कारण कार्यालय का वातावरण खराब हो रहा है और काम प्रभावित होता है। कार्यालय में पदस्थ सभी लिपिकों को स्वच्छंद रूप से काम करने में असुविधा होती है, उनके उक्त कृत्य से सभी कर्मचारी पीड़ित हैं। कर्मचारियों ने यह भी शिकायत में कहा है कि वे अपने आप को सबसे बड़ा कर्मचारी नेता मानते हैं और कार्यालय में संगठन के पदाधिकारियों को बैठाए रहते हैं और कर्मचारियों से संगठन से संबंधित काम कराया जाता है। जिसके कारण विभागीय गोपनीय कार्य करने में व्यवधान होता है। लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर द्वारा पूर्व में भी उनके विरुद्ध शिकायत सही पाए जाने पर दो वेतन वृद्धि रोका गया है। कार्यालय का माहौल खराब न हो इसलिए उन्हें मूल पदस्थ शाला छिंदपुर में वापस भेजते हुए कार्रवाई की मांग की है।
उच्च अधिकारियों की आखिर क्यों नहीं पड़ रही नजर !
इस पूरे मामले में उच्च अधिकारियों की भी भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि एक तरफ जहां राज्य कार्यालय से यह आदेश जारी हो रहा है कि शिक्षक के शैक्षणिक कार्यों में संलग्न न हो और अपने विद्यालयों में सेवाएं दिन वही एक विवादित व्याख्याता जिन्हें वेतन वृद्धि रुकने की भी सजा मिल चुकी है उन्हें उसके स्कूल में वापस भेजने के बजाय उन्हें शह दिया जा रहा है । अभी तक तो केवल शिक्षक ही उनसे परेशान थे अब जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के लिपिको और कर्मचारियों ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है अब देखना होगा कि इस पर अधिकारी कोई कार्रवाई करते हुए शिक्षक को उनके मूल शाला में भेजते हैं या फिर से उन्हें किसी का वरदहस्त प्राप्त हो जाता है ।