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अनियमितता, शिक्षकों का भुगतान रोकने के आरोप में बीईओ ऑफिस का लेखापाल निलंबित…जेडी ने की कार्रवाई

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विकासखण्ड शिक्षा कार्यालय, बिल्हा में पदस्थ तत्कालीन प्रभारी लेखापाल एन. पी. डाहिरे को एक बार फिर से निलंबित किया गया है। उनको पहले महीनों से अनुपस्थित शिक्षक को वेतन देने के आरोप में निलंबित किया गया था। इस बार वित्तीय अनियमितता, शिक्षकों का भुगतान रोकने के आरोप में संयुक्त संचालक, शिक्षा ने निलंबित किया है। उनके ऊपर जानबूझकर, पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर कई शिक्षकों को परेशान करने का आरोप लगा है। जिले के बीईओ ऑफिस, बिल्हा में कार्यरत तत्कालीन प्रभारी लेखापाल एन. पी. डाहिरे के विरुद्ध वित्तीय अनियमितता, शिक्षकों के स्वत्वों का भुगतान नहीं करने व चिकित्सा प्रतिपूर्ति लंबित रखने संबंधी शिकायतों की जांच दो सदस्यीय दल द्वारा कराया गया। इसमें पाया गया कि श्री डाहिरे ने जानबूझकर, पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर और परेशान करने के उद्देश्य से शिक्षक बलदाउ प्रसाद कौशिक के चिकित्सा प्रतिपूर्ति देयक को आबंटन प्राप्त होने के पश्चात भी 3 माह तक रोक कर रखा गया। वहीं शिक्षिका नीति ग्रेस कुजूर के सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले विविध स्वत्वों के भुगतान को श्रीमती कुजूर के खाता क्रमांक 250000400019748 में जमा नहीं कर जानबूझकर दूसरे धारक के खाता क्रमांक 250000400019740 में जमा किया गया।

इसी तरह श्री डाहिरे द्वारा मनमाने ढंग से अमृत लाल देवांगन सेवानिवृत्त प्रधान पाठक का वेतन माह दिसम्बर 2020 में 68,600 रूपए, माह जनवरी 2021 में 73,400 रूपए एवं माह फरवरी में 70,700 रूपए जुलाई तक अलग-अलग निर्धारित कर अनावश्यक रूप से परेशान कर अनियमित वेतन का भुगतान किया गया। उनके उक्त कृत्यों को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम-3 के विपरीत गंभीर कदाचार की श्रेणी में पाया गया। जिसके आधार पर संयुक्त संचालक शिक्षा आर. पी. आदित्य ने प्रभारी लेखापाल श्री डाहिरे को निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि में एनपी डाहिरे का मुख्यालय डीईओ कार्यालय होगा।

शिक्षक पत्नी के बाद पति की मृत्यु, तब भी नहीं मिली राशि

तत्कालीन प्रभारी लेखापाल एन. पी. डाहिरे की गलती के कारण शिक्षक पत्नी की मृत्यु के बाद उनके पति की मृत्यु तक चिकित्सा आपूर्ति राशि नहीं मिली। शिक्षिका शशि गुलाटी के मृत्यु उपरांत डीईओ से जारी चिकित्सा आपूर्ति आबंटन के निर्धारित राशि 3,39,132 रूपए से कम राशि 2,73,375 रूपए का बिल देयक बनाकर कोषालय में जमा किया गया। जिसके कारण बिल देयक भुगतान में कोषालय द्वारा आपत्ति लगाए जाने से भुगतान नहीं हो सका। उक्त भुगतान हेतु श्रीमती गुलाटी के पति हरपाल सिंह गुलाटी बीईओ ऑफिस का चक्कर लगाते रहे, लेकिन भुगतान नहीं मिला। इस दौरान श्री गुलाटी का भी निधन हो गया। इसके बाद उसके पुत्र अंकित गुलाटी द्वारा प्रमुख सचिव, स्कुल शिक्षा विभाग से पत्राचार करने के पश्चात राशि का आहरण हुआ।

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