एक प्रभारी प्राचार्य ऐसा भी…..न जेडी की मानते है बात, न डीईओ की सुनते है राग…. डीईओ के जारी आदेश को भी मानने से कर दिया साफ इंकार…बड़ा सवाल – आखिर अपना सम्मान बचाने के लिए क्या करेंगे डीईओ !
प्रभारी प्राचार्य यानी मूल पद व्याख्याता पर पदस्थ एक कर्मचारी ऐसा भी है जो न तो जेडी की सुनता है और न ही डीईओ की आदेश की परवाह करता है…. दबंगई का आलम ऐसा है कि जिस लिखित आदेश में जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रतिलिपि डालकर डीपीआई से लेकर कलेक्टर तक को प्रेषित किया है उस आदेश को मानने से दबंग प्रभारी प्राचार्य ने सीधे तौर पर इनकार कर दिया है । यहां तक की शाला विकास समिति के सदस्य और स्कूल के तमाम स्टाफ ने उन्हें समझाने की कोशिश की पर प्राचार्य महोदय नहीं माने और अपनी बात पर अड़े रहे कि मैं प्रभार नहीं दूंगा । ऐसे में स्कूल के तमाम स्टाफ और शाला विकास समिति के सदस्यों ने पंचनामा तैयार करवाया ।
क्या है पूरा मामला !
पूरा मामला जिला शक्ति के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चुरतेली, विकासखंड डभरा का है जहां के प्रभारी प्राचार्य टीकाराम सारथी जिनका मूल पद व्याख्याता है को लिखित आदेश जारी करके जिला शिक्षा अधिकारी ने निर्देशित किया था की शासन के नियमों के अनुरूप प्राचार्य पद का (वित्तीय और सामान्य) प्रभार अपने वरिष्ठ व्याख्याता चिंतामणि धृतलहरे को सौंप दें लेकिन टीकाराम सारथी को यह नगावार गुजरा और उन्होंने प्रभार सौंपने से साफ इनकार कर दिया । शाला विकास समिति के सदस्यों ने भी टीकाराम सारथी को यह समझाने की कोशिश की कि उन्हें निमानुसार प्रभार छोड़ देना चाहिए लेकिन वह तैयार नहीं हुए इसके बाद वहां उपस्थित सदस्यों ने पंचनामा तैयार करके मामले से उच्च अधिकारियों को अवगत कराने की बात कही ।
शिक्षकों को बेवजह परेशान करने का भी लगा हुआ है आरोप … व्याख्याता का रोक दिया था बिना किसी ठोस कारण के वेतन… जेडी ने बैठाई है विभागीय जांच
इससे पहले प्राचार्य टीकाराम सारथी ने स्कूल में ही पदस्थ व्याख्याता प्रकाश स्वर्णकार का अक्टूबर माह का वेतन बिना किसी ठोस वजह के रोक दिया था जिसकी लिखित शिकायत स्वर्णकार ने जेडी कार्यालय से की थी उसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए जेडी कार्यालय ने इस पूरे मामले की जांच दो अधिकारियों से कराई थी लेकिन अभी उस मामले पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है । प्राचार्य किस हद तक तानाशाह है इस बात को ऐसे समझा जा सकता है कि जिस व्याख्याता का वेतन रोका गया उसे इस संबंध में नोटिस तक देना प्राचार्य ने उचित नहीं समझा और जब जेडी कार्यालय से मामले की जांच बैठाई गई और पत्र जारी हुआ तो उसके बाद आनन फानन में प्राचार्य ने कर्मचारी को नोटिस थमाया । जिला शिक्षा अधिकारी ने स्वयं प्राचार्य को उसके स्कूल जाकर मौखिक रूप से वेतन जारी करने के लिए निर्देशित किया था लेकिन प्राचार्य ने उनकी बात को भी अनसुना कर दिया । प्राचार्य के इस रवैए और लगातार होते तानाशाही को देखकर वहां के वरिष्ठ व्याख्याता चिंतामणि ने पहले जिला शिक्षा अधिकारी को और फिर संभागीय शिक्षा अधिकारी को पूरे मामले से अवगत कराया इसके बाद जेडी कार्यालय ने डीईओ को नियमानुसार कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया और इसके बाद डीईओ ने प्रभार छोड़ने के लिए टीकाराम सारथी को आदेश जारी कर निर्देशित किया है जिसे मानने से वह इनकार कर रहे हैं । अब देखना होगा कि इस मामले में विभाग के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए जिला शिक्षा अधिकारी कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हैं या नहीं, या फिर एक बार उच्च कार्यालय को इस पूरे मामले में दखल देना होगा ।