तुगलकी फरमान पड़ा अधिकारियों को भारी : – डीईओ ने शिक्षकों की मॉनिटरिंग के लिए खुद से बनवा दिया था एप…. इसके विरोध में संघ पहुंचा हाईकोर्ट तो सरकार ने दिया यह जवाब
बिलासपुर :- मुंगेली के तत्कालीन डीईओ सतीश पाण्डेय के आदेश को चुनौती देते हुए प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर कोर्ट का नोटिस मिलते ही मुंगेली जिला शिक्षाधिकारी ने आदेश को वापस ले लिया है। इस संबंध में कोर्ट में राज्य शासन द्वारा जवाब पेश करने के बाद हाई कोर्ट में याचिका को निराकृत कर दिया है। याचिकाकर्ता शिक्षक संघ ने तत्कालीन डीईओ के आदेश को निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया था ।
कस्टमर केयर से शिक्षकों को आ रहे थे काल
एप डाउन लोड करने के बाद शिक्षकों के मोबाइल पर रायपुर और भिलाई के कार शो रूम, ज्वेलरी शाप, मेडिकल स्टोर्स सहित अन्य कंपनियों व शो रूम से लगातार फोन आना शुरू हो गया था। इस बात की जानकारी डीईओ को देने के बाद भी एप को बंद नहीं कराया गया। छग प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ मुंगेली के जिलाध्यक्ष मोहन लहरी ने जब समन्वय बैठक में एप की शिकायतों को लेकर मुद्दा उठाया तो पथरिया के तत्कालीन बीईओ उमेद लाल जायसवाल ने उन्हें कारण बताओ नोटिस थमा दिया था। ऐसा कर विरोध को दबाने की कोशिश शिक्षाधिकारियों द्वारा की जा रही थी।
इसके बाद मोहन लहरी ने इसे अधिकारों का हनन बताते हुए एप को बंद करने की मांग की थी। छ्ग प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता रत्नेश कुमार अग्रवाल के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें बताया था कि मुंगेली के तत्कालीन जिला शिक्षाधिकारी ने शिक्षकों की हाजिरी के नाम पर मोबाइल को जीपीएस से कनेक्ट करा दिया था। इससे शिक्षक जहां भी जाते थे डीईओ के मोबाइल पर सीधे जानकारी मिल जाती थी। शिक्षकों ने इस एप को बंद करने की मांग की थी।
तत्कालीन डीईओ पांडेय व बीईओ के खिलाफ कार्रवाई
हाई कोर्ट के नोटिस के बाद सचिव स्कूल शिक्षा विभाग ने कोर्ट को जानकारी दी कि विवादित एप को बंद कर दिया गया है। राज्य शासन के बिना अनुमति संचालित एप के संबंध में मुंगेली के तत्कालीन डीईओ पांडेय व बीईओ जायसवाल को उनके पद से हटा दिया गया है और विभागीय कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है। राज्य शासन के जवाब के बाद हाई कोर्ट ने शिक्षक संघ की याचिका को निराकृत कर दिया है।