कांग्रेस के चिकित्सा प्रकोष्ठ अध्यक्ष की तरफ से दशहरा अवकाश की तिथि में परिवर्तन की हुई मांग… इधर शिक्षकों और बच्चों के पालकों का कहना – विभाग ने सही तय की है छुट्टी की तारीख जबरदस्ती की मांग सही नही
स्कूल शिक्षा विभाग ने दशहरा और दिवाली की तारीख तय कर दी है लेकिन इसी बीच वायरल हुए एक लेटर पैड ने खलबली मचा दी है । यह लेटर पैड किसी और का नहीं बल्कि सत्ताधारी दल कांग्रेस के ही चिकित्सा प्रकोष्ठ अध्यक्ष डॉक्टर राकेश गुप्ता का है जिसमें उन्होंने प्रमुख सचिव स्कूली शिक्षा को पत्र लिखकर दशहरा अवकाश में संशोधन की मांग रखी है । उनकी तरफ से उन्होंने कहा है कि स्कूल शिक्षा विभाग में दशहरा अवकाश 23 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक दिया है क्योंकि दशहरा पर्व 24 तारीख को संपन्न हो रहा है इसलिए अवकाश की आवश्यकता त्योहारों को देखते हुए उससे पहले की है । अतः इसमें परिवर्तन करते हुए दशहरा अवकाश 20 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक करने का कष्ट करें ।
हालांकि उनकी इस मांग से विभाग के अधिकारी सहमत होंगे या नहीं होंगे यह तो बाद में पता चलेगा लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षक और स्कूल में पढ़ने वालों वाले बच्चों के पालक इससे बिल्कुल भी सहमत नहीं है । शिक्षकों का कहना है कि शासन ने सोच समझकर एक बार जब तिथि निर्धारित कर दी है तो उसमें जबरदस्ती हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है ।
वही इस मुद्दे पर जब हमने कई छात्रों के पालकों से बात की तो उनका कहना था की
वर्तमान समय में हम अपने घूमने फिरने की तारीख है बच्चों के स्कूल के हिसाब से तय करते हैं सरकार ने जो छुट्टी दी है उससे यह लाभ है कि 21 अक्टूबर यानी शनिवार की रात से लेकर 28 अक्टूबर तक की देर रात का समय हमारे पास अपने परिवार के साथ गुजारने के लिए है शायद शासन ने भी इसीलिए ऐसे छुट्टी दी है कि दोनों संडे अपने आप इसके साथ जुड़ जा रहे हैं और 6 दिन की जगह 8 दिन की छुट्टी मिल रही है है । सरकार की तरफ से तारीख घोषित होने के बाद बहुत से परिवार ने अपने बाहर जाने का भी प्लान फिक्स कर लिया है ऐसे में इसमें परिवर्तन होना बिल्कुल भी सही नहीं होगा क्योंकि जिन्होंने बाहर का कार्यक्रम तय कर लिया है उन्हें अपना कार्यक्रम कैंसिल करना होगा उसकी भरपाई कौन करेगा ।
इधर एक शिक्षक संघ के पदाधिकारी से हमने बात की तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर एक बात कही जो वास्तव में गौर करने लायक है की
स्कूल शिक्षा विभाग की यही खासियत है कि इसमें कोई भी दखल देने या हस्तक्षेप करने की कोशिश कर लेता है यह चीज आपको अन्य विभाग में देखने को नहीं मिलेंगी । हमारे विभाग का तो निरीक्षण भी हमसे कई ग्रेड नीचे का कर्मचारी आकर कर जाता है यह हमारे लिए आम बात है । शासन ने सोच समझकर तरीखे तय की होगी अब शासन को यह तय करना है कि क्या उसकी तय की गई तारीख गलत है या सही, हमें इस विषय पर कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है यह स्वयं प्रशासन सोचे कि उसके पहले का फैसला सही है कि गलत ।