चुनावी आचार संहिता लगने के बाद शिक्षा विभाग को आई शिक्षकों की पदोन्नति की याद…. आदेश जारी कर यह कार्रवाई करने की कही बात !
प्रदेश में सहायक शिक्षक अपने पदोन्नति का इंतजार करते रहे लेकिन विभाग के अधिकारियों ने उनकी सुध नहीं ली और अब जब प्रदेश में आचार संहिता लग गई है तब स्कूल शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को यह बात याद आ रही है कि विभाग में पदोन्नति के लिए काफी पद रिक्त हैं और इसके लिए एक भी बार विभागीय बैठक नहीं हुई है जिसे वह खुद पत्र के माध्यम से स्वीकार कर रहे हैं और इसी के साथ अधिकारियों ने यह भी निर्देशित किया है कि 15 दिनों के अंदर तमाम प्रकार की जानकारी जुटा ली जाए , हालांकि यह कवायद सच में पदोन्नति करने के लिए है या फिर शिक्षकों को रिझाने के लिए, वह तो विभाग ही जाने लेकिन प्रदेश के शिक्षक अपने पदोन्नति की राह देखते-देखते थक चुके हैं यह हकीकत है । पत्र को लेकर सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि इस पत्र को अभी जारी करने के मायने क्या है क्योंकि विभागीय कसरत करने के लिए विभाग के पास पर्याप्त समय था लेकिन उसके बावजूद राज्य कार्यालय से एक पत्र तक जारी नहीं हुआ और निचले स्तर के अधिकारी खाली बैठे रहे । यहां तक की जो पत्र जारी हुए उनका भी परिपालन नीचे से नहीं हुआ इसे लेकर भी किसी की जिम्मेदारी तय नहीं हुई और एक दूसरे के ऊपर दोषारोपण का खेल चलता रहा और शिक्षक परेशान होते रहे । अब अचानक 10 अक्टूबर को विभाग को याद आया की विभाग में पदोन्नति के काफी पद रिक्त हैं और उन पदों पर पदोन्नति की जानी है तो सवाल खड़ा यह होता है कि क्या यह पूरी कवायद चुनावी आचार संहिता लागू होने के पहले नहीं की जा सकती थी या फिर अधिकारियों के टारगेट में पहले से काम कर रहे शिक्षक थे ही नहीं क्योंकि जिन शिक्षकों को पदोन्नति दी गई उनके मामले को जानबूझकर विवादित बनने दिया गया और आज वह तमाम शिक्षक परेशान है जिन्होंने संशोधन कराया है यही नहीं जिन पदों पर वेटिंग लिस्ट से भर्ती हो सकती थी और जिसकी मांग होती रही उस पर भी अधिकारियों ने कभी ध्यान नहीं दिया लेकिन अचानक से उन्हें यह चीज क्यों याद आ रही है यह अपने आप में सोचने वाला विषय है। देखें आदेश