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राष्ट्रपति की दत्तक पुत्रियां संविलियन को मोहताज ! जातिप्रमाण पत्र मध्यप्रदेश का, इसलिए नहीं हो सका समय पर संविलियन। 6 माह से नही मिला है वेतन।

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देश में कुछ विशेष पिछड़ी जन जातियों को राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र के रूप में चिन्हांकित किया गया है इन ताकि इन जन जातियों के उत्थान के लिए विशेष योजना बनाकर इनका विकास किया जा सके लेकिन जमीनी स्तर के अधिकारी इसमें गंभीर नहीं हैं।
इसका ताजा उदाहरण कोरिया जिला के बैकुंठपुर ब्लॉक के शासकीय प्राथमिक शाला उपरपारा एवं दुधनिया (खुर्द) में पदस्थ दो शिक्षिकाएं श्रीमती माधुरी बैगा एवम् हेमलता बैगा के संविलियन के मामले में देखने को मिल रहा है इनकी नियुक्ति सत्र 2014 में जनपद पंचायत बैकुंठपुर जिला कोरिया में सहायक शिक्षक पंचायत के पद पर हुई थी । विधानसभा में माननीय मुख्यमंत्री के घोषणा अनुसार इनका संविलियन 2 वर्ष की सेवा पूर्ण करने के बाद सत्र 2022 में शिक्षा विभाग में हो जाना था किंतु आज पर्यंत तक इनका संविलियन नही हो पाया कारण पता करने पर पता चला है कि संविलियन के समय इनके पास छत्तीसगढ़ से जारी जाति प्रमाण पत्र न होकर मध्य प्रदेश से जारी जाति प्रमाण पत्र था।छत्तीसगढ़ के सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण इनके संविलियन को रोक दिया गया हालांकि इसके पश्चात इन्होंने छत्तीसगढ़ से जाति प्रमाण पत्र बनवा लिया है और अब संविलियन के लिए विगत कई महीनों से गुहार लगाते हुए कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं लेकिन इनकी गुहार उच्च अधिकारियों के कानों तक पहुंच ही नहीं पा रही है।
ज्ञात हो कि पंचायत विभाग से अधिकांश शिक्षाकर्मियों का शिक्षा विभाग में संविलियन हो चुका है जो बचे हैं वे गिनती मात्र के हैं जिनके लिए समय पर वेतन एक बहुत बड़ी समस्या है।
और इसी तरह की समस्या का सामना राष्ट्रपति के इन दत्तक पुत्रीयों को भी करना पड़ रहा है जहां इन्हे पिछले 6 माह से वेतन नहीं मिला है। ज़रा सोचकर देखिए एक तो विशेष पिछड़ी जनजाति जैसे तैसे करके शिक्षा प्राप्त कर एक छोटी सी नौकरी प्राप्त करते हैं उन्हें जाति प्रमाण पत्र के नाम पर इस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़े तो क्या फायदा है उनके राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र होने का।सोचने का विषय है कि क्या सरकार और अधिकारी वास्तव में इनके प्रति संवेदनशील है।

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