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आज निरस्त हो जाएंगे संशोधन आदेश तो क्या रहेगा प्रभावित शिक्षकों के पास विकल्प ! कोर्ट से राहत मिलने की कितनी है संभावना और क्या रहेगा सरकार का अपना पक्ष ?

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शिक्षक पदोन्नति स्थापना संशोधन मामले को लेकर यह माना जा रहा है की देर शाम तक संशोधन निरस्तीकरण हेतु निर्देश डीपीआई कार्यालय द्वारा जारी कर दिया जाएगा जो कि उन तमाम शिक्षकों के लिए बड़ा झटका होगा जिन्होंने बड़ी राशि खर्च करके संशोधन करवाया था और संशोधन निरस्त होने के बाद उनकी परेशानी बढ़ना तय है । इधर सरकार को भी यह बात भली-भांति पता है की संशोधन निरस्त होते ही शिक्षक हाई कोर्ट की ओर दौड़ेंगे ऐसे में विभागीय अधिकारियों ने तय किया है कि पहले आज न्यायालय में इस मामले को लेकर कैविएट दाखिल किया जाएगा और उसके बाद ही निरस्तीकरण आदेश जारी किया जाएगा ताकि शिक्षकों की तरफ से जो याचिकाएं दायर हो उसमें किसी भी प्रकार का कोई रिलीफ देने से पहले न्यायालय सरकार का भी पक्ष सुन ले । इधर नियमों और सरकारी कार्यवाही के जानकारों से बात करने पर सबका कहना है कि शिक्षकों के लिए अब मामला आसान नहीं रहेगा क्योंकि एक तो जिन्होंने पैसा लिया है वह दलाल आसानी से उनका पैसा वापस करने वाले नहीं है दूसरा न्यायालय से भी तत्काल राहत मिलने की संभावनाएं कम ही है क्योंकि सरकार का रुख जिस हिसाब से इस मामले को लेकर सख्त है उस हिसाब से सरकारी वकीलों द्वारा भी किसी भी प्रकार की राहत न्यायालय द्वारा दिए जाने का कड़ा विरोध किया जाएगा और उनके पास अपना तर्क है कि इस प्रकार चंद लोगों को लाभ देने से अप्रत्यक्ष रूप से इससे कई गुना ज्यादा लोगों का नुकसान होगा जिन्होंने काउंसलिंग में उन स्थानों को ग्रहण कर लिया है जो उन्हें मिला था । इधर एक तर्क यह भी सामने आ रहा है कि शिक्षकों ने पदभार ग्रहण कर लिया है और वेतन भी प्राप्त कर लिया है तो इसके संबंध में भी जानकारो का कहना है कि बिलासपुर जिले में ही अनुकंपा मामले में ज्वाइन कर चुके 9 कर्मचारियों को नौकरी से हटाया गया जो सैलरी तक पा चुके थे लेकिन बाद में जब विभाग ने पाया कि उनकी नियुक्ति नियम विरुद्ध हुई है तो उन्हें न्यायालय तक से राहत नहीं मिल सका इसी प्रकार फर्जी जाति और दिव्यांगता प्रमाण पत्र मामले में भी पूर्व में कार्रवाई हो चुकी है और वर्षों से जमे कर्मचारियों को अपने पदों से हाथ धोना पड़ा है दरअसल इसके पीछे राज्य कार्यालय की यह दलील रहेगी कि जो निर्देश डीपीआई के तरफ से जारी किए गए थे उसका उल्लंघन करते हुए संशोधन आदेश जारी किए गए क्योंकि पहले सभी कार्यालयों द्वारा ओपन काउंसलिंग की गई तो राज्य कार्यालय को भी ऐसा लगा था मानो सारी नियुक्तियां सही तरीके से हो गई हो और उसके बाद गुपचुप तरीके से संशोधन कर दिया गया जिसकी शिकायत और जानकारी मिलते ही राज्य कार्यालय द्वारा कड़ी कार्यवाही की गई है यह राज्य कार्यालय का अपना पक्ष रहेगा क्योंकि सभी जगहों पर पहले ओपन काउंसलिंग किया गया है और उसके बाद ही गुपचुप तरीके से संशोधन कर दिया गया ।

आम शिक्षक फिर ठगे गए , पुलिस जांच में आ सकते है कई बड़े शिक्षक नेताओं के नाम !

प्रदेश में आम शिक्षक का ठगा जाना कोई नई बात नहीं है कभी हड़ताल के नाम पर तो कभी ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर आम शिक्षक ठगाते ही आ रहे हैं । इस बार भी जिन शिक्षक संगठनों को वह अपना मसीहा समझते थे उन्होंने ही दलाली का पूरा खेल सेट किया और जमकर चांदी काटी । सोशल मीडिया ग्रुप में यह चर्चा आम है कि संशोधन की जो राशि शिक्षकों द्वारा दी गई है उसमें एक बड़ी राशि शिक्षक नेताओं द्वारा रख ली गई और यही वजह है कि संशोधन का रेट भी एकदम हाई था । कुछ शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों ने सभी संभाग में पहले ही जेडी और वहां के कर्मचारियों से मुलाकात कर पूरा मामला तय कर रखा था और जब आम शिक्षकों ने संगठन में यह बात सामने रखी की रिक्त पदों को छुपाया गया है और सारे दूरदराज के पद ही सामने रखे गए हैं तो इन्हीं नेताओं के द्वारा उन्हें यह कहकर चुप करा दिया गया कि ले देकर न्यायालय से पदोन्नति मामले में राहत मिली है अगर ज्यादा विरोध होगा तो पदोन्नति फिर लटक सकता है इस तरीके का डर बनाने में शिक्षक संगठनों की ही प्रमुख भूमिका रही । डरे सहमे शिक्षकों ने चुपचाप पदोन्नति लेने में ही भलाई समझी और बाद में इन्हीं शिक्षक नेताओं ने उनसे संपर्क कर उन्हें मनचाही जगह दिलाने के नाम पर जमकर वसूली काटी है जो निरस्तीकरण और एफ आई आर दर्ज होने के बाद सामने आने की बात कही जा रही है क्योंकि स्वाभाविक बात है की जिनका धन और धर्म दोनों जाएगा वह चुप नहीं बैठेंगे । संशोधन पीड़ित शिक्षकों का भी अपना कई अलग ग्रुप बनते जा रहा है जिसमें खुलकर उन शिक्षक नेताओं का नाम भी लिखा जा रहा है जिन्होंने जमकर दलाली काटी है ।

शिक्षकों के पास पदोन्नति छोड़ने का भी रहेगा विकल्प !

ऐसा माना जा रहा है कि जब संशोधन निरस्तीकरण होगा तो बहुत से शिक्षक जिन्हें दूरदराज पदस्थापना मिली थी अपना पद छोड़ देंगे लेकिन सवाल यह खड़ा हो रहा है कि 1 या 2 महीने की सैलरी पा चुके शिक्षक अपने पूर्व पद पर कैसे लौटेंगे तो इसके लिए भी सरकार की तरफ से यदि विकल्प नहीं दिया जाता है तो न्यायालय की तरफ से विकल्प अवश्य मिलेगा क्योंकि शिक्षकों के पास भी यह दलील रहेगा कि हमने संशोधन पाने के बाद ही कार्यभार ग्रहण किया था और काउंसलिंग में जो हमें स्थान मिला था उसके लिए हमारी किसी प्रकार की कोई सहमति नहीं थी ऐसे में पाई गई राशि चालान के माध्यम से जमा कर उनके पास पूर्व पद पाने का विकल्प मौजूद रहेगा क्योंकि कार्यभार उन्होंने संशोधित स्थान पर ग्रहण किया था काउंसलिंग में मिले मूल स्थान पर नहीं इसलिए उन्हें इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता ऐसी जानकारी निकाल कर सामने आ रही है । कुल मिलाकर जैसा कि हमने पिछली खबर में बताया था यह सप्ताह पूरी तरह उथल-पुथल मचाने वाला रहेगा और शिक्षा विभाग में कार्यवाही का दौर भी जारी रहेगा इसी बीच कल पदोन्नति गड़बड़ी मामले में ही गरियाबंद जिला शिक्षा अधिकारी की भी छुट्टी हो चुकी है ।

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